जानिए PSU और Private कंपनियों का असली फर्क – निवेश करने से पहले जानें बेहतर रिटर्न कौन देता है, जोखिम कितना है, कौन ज्यादा सुरक्षित होता है, और कौन-से सेक्टर में किसकी मज़बूत पकड़ है – आप जैसे निवेशक के लिए कौन सही है – यह पोस्ट लंबी अवधि निवेशकों के लिए है! एक दमदार हिंदी गाइड में।
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TogglePSU vs Private Stocks: आम आदमी को कहां निवेश करना चाहिए?
- PSU vs Private Stocks:
जब आप शेयर मार्केट में पैसा लगाते हैं, तो एक सवाल बार-बार आता है —
“सरकारी कंपनी में पैसा लगाऊं या प्राइवेट में?”
यह सवाल छोटा ज़रूर है, लेकिन इसका जवाब हर किसी के लिए अलग होता है।
और हकीकत ये है कि सिर्फ नाम देखकर या यूट्यूब से सुनकर अगर आप निवेश कर रहे हैं —
तो आप रिस्क ले रहे हैं, और शायद आपको इसका अंदाज़ा भी नहीं है।
इस पोस्ट में हम बिलकुल जमीन से जुड़ी भाषा में समझेंगे कि:
PSU होता क्या है और इसका फायदा-नुकसान क्या है?
Private कंपनी का असली चेहरा क्या है?
आंकड़ों और मिसालों से कौन जीत रहा है?
और आपके जैसे investor के लिए कौन सही है?

पहले समझते – PSU होता क्या है?
PSU यानी Public Sector Undertaking, मतलब सरकार की कंपनी।
सरकार यानी हमारे देश की — आपकी, मेरी, हमारे टैक्स की कमाई से चलने वाली।
सरकार का कंपनी में ज़्यादातर हिस्सा होता है — 51% से ज़्यादा।
मतलब?
👉 आख़िरी फैसला सरकार का होगा।
👉 कंपनी सिर्फ पैसा कमाने के लिए नहीं, देश के लिए काम करती है।
उदाहरण:
SBI – सबसे बड़ा सरकारी बैंक
NTPC – बिजली बनाती है
Coal India – कोयला देती है
इनका काम ज़रूरी है – देश को चलाना।
पर इसका मतलब ये नहीं कि ये कमाई में टॉप पर हैं।
इनकी ताकत क्या है?
भरोसेमंद हैं – सरकार इनके पीछे खड़ी है
डिविडेंड अच्छा देती हैं
बहुत कम चांस है कि बंद हो जाएं
लेकिन कमज़ोरी भी है:
सरकार के फैसलों के हिसाब से चलती हैं
कई बार profit से ज़्यादा “नीति” की सोच होती है
ग्रोथ बहुत तेज नहीं होती
अब समझते – Private कंपनी कैसे काम करती है?
Private यानी निजी कंपनियाँ।
यहां मालिक कोई business group, family, या investors होते हैं।
सरकार का कोई लेना-देना नहीं।
यह कंपनियाँ मुनाफे पर चलती हैं।
अगर कमाई नहीं, तो कंपनी का वजूद भी नहीं।
उदाहरण:
इन कंपनियों की दुनिया एकदम अलग है।
Speed, Innovation, Profit और Competition — यही इनका खेल है।
फायदे?
तेज़ी से बढ़ती हैं
प्रोफेशनल तरीके से चलती हैं
नए ideas लाती हैं
Shareholders को ज्यादा return देने पर फोकस होता है
कमज़ोरियाँ?
Risk ज्यादा होता है
गलत decisions का सीधा असर शेयर पर आता है
कई बार valuation बहुत ज़्यादा हो जाती है (price बहुत high)

Real Example से समझते हैं:
🏦 SBI vs HDFC Bank
SBI एक भरोसेमंद नाम है। पर decision-making धीमी है।
HDFC Bank ने कम समय में customer trust, digital banking और profit – सबमें बाज़ी मारी है।
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PSU और Private कंपनियों में फर्क: 2020–2025 Performance
बैंक | CAGR Return | NPA | डिजिटल सर्विस |
---|---|---|---|
SBI | ~12% | ज्यादा | औसत |
HDFC | ~17–18% | कम | शानदार |
👉 मतलब?
SBI सुरक्षित है, HDFC प्रॉफिटेबल।
5 साल का Return Comparison (2020–2025) तक
कंपनी | टाइप | Return % | डिविडेंड | Risk |
---|---|---|---|---|
NTPC | PSU | ~160% | High | Low |
Coal India | PSU | ~120% | Very High | Low |
TCS | Private | ~150% | Medium | Medium |
Reliance | Private | ~120% | Low | Medium |
DMart | Private | ~90% | No | High |
👉 PSU ने भी return दिए हैं, लेकिन stable और steady।
👉 Private ने कम समय में wealth create किया — लेकिन उतार-चढ़ाव के साथ।
कौन-से Sector में कौन अच्छा है?
Sector | PSU Star | Private Star |
---|---|---|
बिजली | NTPC | Tata Power |
बैंकिंग | SBI | ICICI, HDFC Bank |
रक्षा | HAL, BEL | L&T Defence |
FMCG | — | HUL, ITC, Nestlé |
IT | — | TCS, Infosys, Wipro |
टेलीकॉम | BSNL (गंभीर संकट में) | Jio, Airtel |
👉 PSU – जरूरी sectors में मजबूत पकड़ (बिजली, बैंकिंग, कोयला)।
👉 Private – Innovation वाले sectors में तेजी (IT, FMCG, Digital Services)।
Investor Profile पर क्या लागू होता है?
हर किसी का रिस्क प्रोफाइल अलग होता है।
आप एक example देखिए:
हर निवेशक का प्रोफाइल अलग होता है। आपके निवेश का चयन आपकी उम्र, जोखिम सहनशक्ति और वित्तीय लक्ष्य पर निर्भर करता है।
अगर आप Conservative Investor हैं:
PSU कंपनियां बेहतर विकल्प हैं।
उदाहरण: NTPC, Power Grid, Coal India
Reason: कम जोखिम, अच्छा डिविडेंड
अगर आप Aggressive Investor हैं:
Private ग्रोथ स्टॉक्स चुनें।
उदाहरण: TCS, Reliance, Bajaj Finance
Reason: तेज़ ग्रोथ और wealth creation का मौका
अगर आप Medium-Risk Taker हैं:
एक Balanced पोर्टफोलियो बनाएं जिसमें PSU और Private दोनों हों।
उदाहरण: SBI + HDFC Bank, ONGC + Reliance
रमेश जी – 55 साल, Delhi, सरकारी कर्मचारी
Safe investment चाहते हैं
Monthly income जरूरी है
Retirement नज़दीक है
Best choice: PSU Stocks
NTPC, Power Grid, Coal India जैसे stable डिविडेंड देने वाले
सुरभि – 30 साल, Bangalore, Tech Job
High salary है, risk ले सकती हैं
Wealth build करना चाहती हैं
10–15 साल का vision है

Best choice: Private Stocks
Infosys, TCS, DMart, Bajaj Finance – तेज़ी से बढ़ती कंपनियाँ
राहुल – 40 साल, बिहार, Small Businessman
Risk भी ले सकते हैं, Safety भी चाहिए
Family का खर्च है, साथ में future planning भी
Best choice: Mix Portfolio
PSU + Private दोनों का कॉम्बिनेशन
Final Thought: PSU vs Private = Balance is Key
कई लोग सिर्फ PSU पकड़ लेते हैं, और सोचते हैं “सरकार की कंपनी है, डूबेगी नहीं।”
ये बात सही है, लेकिन सिर्फ डूबने से बचना ही तो लक्ष्य नहीं है, है ना?
Private कंपनियों में तेज़ी है, लेकिन अगर गलती से गलत कंपनी पकड़ ली —
तो पैसा 3 साल में आधा भी हो सकता है।
✅ स्मार्ट निवेश वही है जो बैलेंस बना सके।
फॉर्मूला (सिर्फ सलाह, कोई सिफारिश नहीं):
PSU – 40% पोर्टफोलियो में (डिविडेंड और सेफ्टी के लिए)
Private – 60% (ग्रोथ और रिटर्न के लिए)
👉 और हां, कंपनी का नाम नहीं, उसका काम देखिए।
👉 शेयर नहीं, बिज़नेस में हिस्सेदारी ले रहे हैं – ये सोचिए।
याद रखने वाली बात:
- “PSU शेयर भरोसा दिलाते हैं,
Private शेयर सपना दिखाते हैं।
लेकिन निवेश वही करता है
जो भरोसे और सपनों – दोनों का सही संतुलन बना कर रखे।”
Bonus Tip for Long-Term Investors:
- “PSU स्टॉक बोरिंग लग सकते हैं, लेकिन ये आपके पोर्टफोलियो में स्थिरता लाते हैं।
Private स्टॉक आपकी दौड़ लगाते हैं – दोनों का संतुलन ही स्मार्ट निवेश है।”
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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। यह कोई एक्सपर्ट की राय नहीं है| क्योंकि शेयर बाजार जोखिम के अधीन है। इसलिए कोई भी निवेश या निर्णय लेने से पहले अपनी स्वयं की रिसर्च जरूर करें। bazarinsights.com किसी भी प्रकार की वित्तीय नुकसान के लिए उत्तरदायी या जवाबदेही नहीं होगा।
धन्यवाद